जब शरद ऋतु की ठंडी हवा भीषण गर्मी को जो लगभग एक महीने तक जारी थी, दूर भगा रही थी, करीब 200 विदेशी सदस्यों ने 69वें विदेशी मुलाकाती दल के रूप में कोरिया का दौरा किया। वे 17 स्पेनिश या पुर्तगाली बोलनेवाले देशों के 82 स्थानीय चर्चों से आए; वे मुख्य रूप से कोरिया से सबसे दूर स्थित महाद्वीप, यानी मध्य व दक्षिण अमेरिका से और यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप से आए। उन्होंने 30 अगस्त से एक–एक करके कोरिया में प्रवेश किया।
वे ऐसे बहुत दूर देशों से कोरिया आए जिनका मौसम और समय कोरिया से अधिक अलग है। उनके कोरिया का दौरा करने का उद्देश्य माता से मिलना और उस पवित्र आत्मा की शक्ति प्राप्त करना था, जिसके द्वारा वे सारी दुनिया को बचा सकेंगे। चूंकि उन्होंने बहुत दूर देशों से कोरिया तक की यात्रा की, इसलिए उन्हें कई बार विमान बदलना पड़ा और कोरिया पहुंचने में दो से पांच दिन लगे। माता ने उनकी तकलीफों को समझकर हार्दिक स्नेह से उनका स्वागत किया। और माता ने जो उनसे मिलने को तरसती थीं, उनकी भाषाओं में अपनी खुशी और प्रेम को व्यक्त किया और उन्हें यह कहकर आशीष दी, “पिता से अधिक पवित्र आत्मा प्राप्त कीजिए और महान नबी बनिए।” माता की बांहों में विदेशी सदस्यों को बड़ी सांत्वना मिली।
ⓒ 2016 WATV
1 सितंबर को हुई उद्घाटन की आराधना से शुरू करके विदेशी मुलाकाती दल का सारा कार्यक्रम सक्रिय रूप से संचालित किया गया। माता ने कहा, “पिता ने सुसमाचार के प्रथम दिनों से भविष्यवाणी की कि उनकी संतान दूर देशों से आएंगी, और अब उसी भविष्यवाणी के अनुसार विदेशी सदस्य कोरिया आ रहे हैं। बाइबल की सभी भविष्यवाणियां पूरी हो रही हैं, इसलिए कृपया अनन्त स्वर्ग के राज्य की आशा करते हुए हौसला रखिए।” प्रधान पादरी किम जू चिअल ने इस बात पर जोर दिया कि जब हम यशायाह के 60वें अध्याय की भविष्यवाणी के अनुसार यरूशलेम की महिमा की ज्योति चमकाएंगे, तब दुनिया भर से अनगिनत स्वर्गीय संतान परमेश्वर के पास लौटेंगी, और उन्होंने निवेदन किया कि वे “ज्योति चमकाने वाले नबी” बनें।
माता ने विदेशी सदस्यों के मन में इस बात को जागृत किया कि उनका घर स्वर्ग में है, और यह कहते हुए शिक्षा दी, “कृपया सांसारिक अभिलाषाओं को दूर फेंकते हुए और परमेश्वर के उदाहरणों का पालन करते हुए पूरी निष्ठा से दूसरों की सेवा कीजिए और अनन्त चीजों के लिए जीवन बिताइए,” माता की शिक्षाओं से विदेशी सदस्यों ने अधिक आत्मिक एहसास प्राप्त किए।
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उन्होंने नई यरूशलेम फानग्यो मन्दिर और बुनदांग मन्दिर और चर्च के कई प्रशिक्षण संस्थानों के साथ–साथ चर्च ऑफ गॉड इतिहास संग्रहालय, स्वर्गीय पिता और माता के बलिदान के पदचिन्हों से भरे हुए राजधानी क्षेत्रों के चर्चों का दौरा करते हुए परमेश्वर के प्रेम को और अधिक गहराई से महसूस किया और कोरियाई भाई–बहनों के साथ भाईचारे का प्रेम बांटा। एन सियोल मिनार, सियोल इतिहास संग्रहालय, फानग्यो टेक्नो वैली आदि का दौरा करते हुए वे यह देख सके कि कोरिया कितना विकसित हुआ है और बाइबल की भविष्यवाणियां कैसे पूरी हुई हैं।
सदस्यों ने महसूस किया कि चर्च ऑफ गॉड माता के बलिदान और प्रेम के कारण आज इतना अधिक विकसित हो सका है। “7 अरब लोगों को प्रचार करने के आंदोलन में सबसे आगे दौड़ने वाला धावक बनिए,” माता के इस आशीषित वचन और स्वर्ग के राज्य की आशा को उन्होंने अपने हृदय में रखा और वे अपने देशों में सभी लोगों को नई वाचा के सुसमाचार का प्रचार करने का दृढ़ संकल्प करके अपने देश वापस गए।