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67वां विदेशी मुलाकाती दल

  • País | कोरिया
  • Fecha | Mayo 30, 2016

30 मई को जब गर्मी का मौसम शुरू हुआ, इनचान अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आगमन कक्ष में “वी लव यू” की चिल्लाहट के साथ प्यार भरा अभिवादन जारी रहा और वह दिन–भर नहीं रुका। क्योंकि नेपाल, भारत, मंगोलिया, थाईलैंड, लाओस, म्यांमार, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, घाना, तंजानिया, बोत्सवाना और टोगो से विदेशी सदस्य एक–एक करके कोरिया में पहुंचे और कोरियाई सदस्यों के साथ जो वहां उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे, पुनर्मिलन की खुशी साझा की।

माता ने एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के 109 चर्चों से आए लगभग 240 सदस्यों का प्रेम भरा स्वागत किया और हर एक को गले लगाते हुए व्यक्त किया कि उन्होंने उन्हें कितना ज्यादा याद किया और प्रेम किया। चूंकि वे बड़ी मुश्किल स्थितियों के बावजूद कोरिया आए थे, इसलिए माता ने उन्हें ऐसी आशीष दी कि वे पिता से पवित्र आत्मा की शक्ति बहुतायत से प्राप्त करें और सुसमाचार के महान सेवक बनें। और जो उनके साथ कोरिया का दौरा नहीं कर सके थे, उन्हें भी माता ने अपने प्रेम का इजहार किया। अगले दिन नई यरूशलेम फानग्यो मंदिर में आयोजित उद्घाटन की आराधना में माता ने स्वयं प्रेम के बारे में शिक्षा दी: “परमेश्वर प्रेम हैं। इसलिए परमेश्वर की संतानों को भी प्रेम बनना चाहिए और हर समय संसार के लोगों के साथ प्रेम बांटना चाहिए। आइए हम लोगों को अनन्त जीवन और उद्धार देने वाले फसह के सच्चे प्रेम को पहुंचाएं, और साथ ही अपनी यात्रा के दौरान भी कृपया एक दूसरे के साथ प्रेम साझा कीजिए ताकि आप मसीह की सुगंध फैला सकें।” सदस्यों ने माता के इन वचनों को अपने हृदयों में गहराई से उत्कीर्ण किया।

ⓒ 2016 WATV

मुलाकाती दल के कार्यक्रम शिक्षण पर केंद्रित रहे, जैसे कि एकीकृत शिक्षा, उपदेश का अभ्यास, सुसमाचार के सेवक के चरित्र एवं व्यक्तित्व का निर्माण शिक्षण, वीडियो शिक्षण इत्यादि। उन्होंने स्थानीय चर्चों, प्रशिक्षण संस्थानों और चर्च ऑफ गॉड इतिहास संग्रहालय, एन सियोल मिनार, कोरिया के युद्ध संग्रहालय, अक्वेरियम इत्यादि का दौरा किया, जिससे उन्होंने स्वर्गीय पिता और माता के नक्शे कदमों पर चलते हुए सुसमाचार की पवित्र भूमि, कोरिया के बारे में समझने का समय लिया।

विदेशी सदस्य डील(मंगोलिया), छुत थाई(थाईलैंड), चूड़ीदार और कुर्ता(भारत), दौरा–सुरुवाल(नेपाल), जुलु हेडबैंड और श्वेश्वे(दक्षिण अफ्रीका) इत्यादि विभिन्न पारंपरिक पोशाक पहने थे, जो दर्शा रहा था कि विदेशी सदस्य भिन्न–भिन्न संस्कृतियों वाले देशों से आए थे। फिर भी वे माता में एकजुट रहे। भले ही उन्होंने आठ विभिन्न भाषाएं बोलीं, लेकिन बातचीच करने में कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने एक दूसरे की भाषाओं में अभिवादन कियाऌ एशियाई सदस्यों ने अफ्रीका या ओशिनिया के सदस्यों के साथ अंग्रेजी में बातचीत की, और नेपाली सदस्यों और मंगोलियाई सदस्यों ने जो कोरियाई भाषा बोलने में कुशल थे, कोरियाई भाषा में एक दूसरे के साथ सिय्योन की सुगंध को बांटा।

लेकिन इन सब के ऊपर एक आधिकारिक भाषा जिसने उन्हें एक होने के लिए बांधा, वह यह थी, माता का प्रेम। उन्होंने कहा, “पूरी यात्रा के दौरान, हमने माता की बांहों में लिपटे हुए एक बच्चे के समान स्वयं को शांत महसूस किया, और हमें बड़ी सांत्वना मिली। यात्रा के द्वारा हम जान सके हैं कि माता हमसे कितना प्रेम करती हैं।” मुलाकाती दल ने महाद्वीपों और देशों के अनुसार सात अरब लोगों को प्रचार करने का संकल्प किया और सभी कार्यक्रम समाप्त किए और फिर एक दूसरे को प्रोत्साहित करके दुनिया को बचाने के लिए अपने कदम तेजी से बढ़ाए।

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