उच्चविद्यालय की पढ़ाई की समाप्ति से पहले पढ़ाई के बोझ से मुक्त हुए 12वीं कक्षा के छात्र–छात्राओं के चेहरे पर निश्चिंतता के भाव हैं। 14 दिसंबर को 12वीं कक्षा के 2,500 छात्र–छात्राएं “वर्ष 2014 प्रारंभिक युवा वयस्कों के लिए शिक्षा सभा” में हिस्सा लेने के लिए ओकछन गो एन्ड कम संस्थान की व्यायामशाला में एकत्रित हुए। सबके चेहरे खूब प्रफुल्लित थे। भव्य भविष्य की आशा बांधने वाले छात्रों को विजन प्रस्तुत करने के लिए और उनमें दृढ़ विश्वास जमाने के लिए यह समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह के दो भाग थे; पहला भाग आराधना था और दूसरा विजन प्रशिक्षण था।
ⓒ 2014 WATV
माता ने छात्रों को यह कहते हुए सांत्वना दी, “आपने पढ़ाई करने में बहुत मेहनत की है। आप अनेक सपने संजोए रहते हैं। भले ही उन्हें पूरा करने की प्रक्रिया कठिन है, पर आखिर में आपको मेहनत का अच्छा परिणाम मिलेगा।” उन्होंने यह कहकर आशीष के मूल्य की याद दिलाई, “ओस के समान युवक जो परमेश्वर के कार्य के लिए स्वेच्छाबलि बनते हैं, वे स्वर्ग में राजकीय याजक होंगे।”(भज 110:2–4) और फिर उन्होंने कहा, “परमेश्वर ने वादा किया कि जो परमेश्वर के वचनों का मनन और पालन करते हैं, उनके सारे कार्य सफल होंगे, इसलिए दृढ़ और साहसी बनिए और समुद्र–रूपी कालेज या कार्यस्थल में जाकर उन लोगों के मन में जो स्वर्ग की आशीषें न जानते हुए जी रहे हैं, स्वर्ग की आशा बोएं।”(भज 1:1–6; नहे 13:16–18; यहो 1:1–9; 1थिस 2:4; यश 43:1–3)
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प्रधान पादरी किम जू चिअल ने उन्हें जीवन के स्वर्णकाल में प्रवेश करने के लिए बधाई दी और उन्हें यह कहकर सलाह दी, “जो बहुतों को धर्मी बनाते हैं, वे स्वर्ग में वीआईपी बनेंगे। कृपया भविष्य के प्रति अपने सपनों को मजबूत बनाए रखिए, ताकि आप संसार की धाराओं में बह जाने से जीवन के सही अर्थ और लक्ष्य को न खोएं।”
फिर उन्होंने जंगली हंस की उड़ान का उदाहरण देकर उनसे “एकता” बनाए रखने की विनती की। जंगली हंस अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर वी के आकार में झुंड बनाकर उड़ान भरते हैं। झुंड का मुखिया अपने पंखों को फड़फड़ाते हुए ऊर्जा उत्पन्न करता है, ताकि उनके ठीक पीछे उड़ने वाले हंसों को उड़ान भरने में आसानी हो जाए। और झुंड के पीछे उड़ने वाले हंस अपने मुखिया के लिए बीच–बीच में बोलकर प्रोत्साहित करते रहते हैं। पादरी किम जू चिअल ने कहा, “मुझे आशा है कि आप माता को जो स्वर्ग के मार्ग में सबसे आगे बलिदान करती हैं, प्रोत्साहन दें और एक दूसरे को प्रेरित करते हुए अपने जीवन का स्वर्णकाल बिताएं।”
उसके बाद विजन प्रशिक्षण था। प्रोफेसर ली हे ग्यंग, किम ओक ह्यन और ग्वन ह्यक जिन ने अपने क्षेत्रों को बाइबल की शिक्षाओं से जोड़कर व्याख्यान दिए। उन्होंने “एलोहीम परमेश्वर और अंतरिक्ष,” “चमत्कार कहां से पैदा होता है?” और “बीस वर्ष की उम्र में लक्ष्य प्राप्त करने की मेरी योजना” शीर्षकों के अन्तर्गत बताया कि युवकों को किस प्रकार की मानसिकता रखनी चाहिए और कैसे अपने भविष्य की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए। छात्रों ने अपने वरिष्ठों की सलाहों पर कान लगाकर सुना और उत्सुकतापूर्वक प्रोफेसरों के सवलों का जवाब देते हुए और उनसे ताल मिलाते हुए हंसी–खुशी का माहौल बनाया।
समारोह के बाद छात्रों के अंदर नया जोश और उमंग देखने को मिला। किम गा मिन ने उज्ज्वल मुस्कान के साथ कहा, “समारोह के उमंगपूर्ण माहौल में मुझे एक नई ऊर्जा मिली।” बे सांग आ ने यह कहकर संकल्प प्रकट किया, “मैं आत्मविश्वास से भर गई हूं। मैं लक्ष्य स्थापित करके सार्थक जीवन जीना चाहती हूं।” जंग इल उंग ने दृढ़ निश्चय के साथ कहा, “मैं उलझन में था और फैसला नहीं कर पा रहा था कि मैं क्या करना चाहता हूं। आज मैंने जाना कि एक विजन रखना महत्वपूर्ण है। मैं एक–एक करके योजना बनाऊंगा और सफल भविष्य का निर्माण करूंगा।”
लोग बीस वर्ष की उम्र में पहुंचने पर एक सफेद कागज का टुकड़ा प्राप्त करते हैं। उन्हें उस कागज पर चित्रित करना चाहिए कि उन्हें अपनी लंबी जीवन–यात्रा में कहां जाना चाहिए, किस मार्ग को चुनना चाहिए और उस मार्ग से कैसे गुजरना चाहिए। वे उलझन में होते हैं, और चूंकि उन्हें केवल एक कागज का टुकड़ा मिलता है, उन्हें गलती करने का डर भी होता है। मगर वे चाहे जो भी चित्रित करें, सब ठीक है। युवकों का भविष्य सिर्फ संभावना के कारण सुन्दर हो सकता है। हम उन युवा वयस्कों को प्रोत्साहित करते हैं जो समुद्र–रूपी संसार की ओर साहसपूर्वक आगे बढ़कर शानदार ढंग से अपने सपने साकार करेंगे।
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